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Some of my sample poems

1-
        
        अलविदा!
        ऐ अन्तहीन होती जा रही,
        जिन्दगी की उलझनों!.....अलविदा
        ऐ हृदय को बीधते पीर के, 
        चुभते नुकीले से सिरों!.....अलविदा
        ऐ नेह की तलाश में भटकती,
        थकी - माँदी, व्यथित इच्छाओं!....अलविदा
        ऐ स्नेह की बारिश चाहती,
        खोखली हो चली अभिलाषाओं!.....अलविदा
        ऐ अनसुनी रह गयी व्यर्थ,
        भटक कर लौटती प्रार्थनाओं!.....अलविदा
        ऐ क्रूरता से ठुकरा दी गयी,
        टूटी रीढ़ पर टिकी मिन्नतों!......अलविदा
        ऐ आँख से खामोश बहते,
        खारेपन का दर्द देते आँसुओं!.....अलविदा
        ऐ अनंत तक जाती राह पर,
        मूर्छित होती प्रतीक्षाओं!........अलविदा
        ऐ ठोकर खाकर क्षत-विक्षत 
        अनहद आहत हो चुकी चाहतों!.....अलविदा
        ऐ अथाह क्रंदन से थककर,
        अशक्त हो चुकी भावनाओं!....अलविदा
        अलविदा! तुम सबसे अलविदा!
        अलविदा! तुम सबसे अलविदा!
        
        ऐ मोक्ष के द्वार पर खड़े मेरे हृदय!
        अब मोह के द्वार पर थमना नहीं।
        जो प्राणवायु दे रही थी वेदना,
        अब फिर उनके पीछे पड़ना नहीं।
        अब माया-मोक्ष के बीच की लकीर पार कर,
        सशरीर, सश्वास, ससंवेदन, सचेतन,
        और चुन दे एक मजबूत दीवार,
        न वे इस पार आ सकें,
        न तू उस पार जा सके।।
        
2-
           
            सुनो ऐ चाँद!
            कभी आओ न इस अनोखे लोक में,
            अपने गुरुत्व का भर वहीं छोड़कर,
            भारहीन, निश्छल, अविरल,
            मृदु भावों का लहराता सागर लेकर,
            जो भीतर से अनमोल रत्नों से भरा हो,
            जो कुंदन से भी अधिक खरा होl 
            कभी आओ न मेरे गढ़े इस लोक में,
            जिसे रचाया है मेरी अंतर्दृष्टि ने, 
            सिंचित किया जिसे मधु अमृत की वृष्टि ने,
            जिसमे खिले रहते हैं सुगन्धित फूल निरंतर,
            पथ ढक देतीं पंखुड़ियां झर - झरl
            जहाँ गूंजती हैं आत्मा को मोहित करती ध्वनियाँ, 
            बेहद मीठे गीतों - संगीतों के स्वरl
            हर चीज़ इतनी उज्जवल पारदर्शी, 
            साफ़ दिखेगी तुम्हें हर जगह अपनी ही छवि, 
            निहाल न हो जाओ तो कहनाl 
            दावा है कभी लौटकर वापस न जा सकोगे,
            अपने पुराने रूप में, बिना परिवर्तित हुए,
            सुनो ऐ चाँद! 
            ये मोक्ष की दुनिया हैl
            
3-
           
            जीवन जीने की परिभाषा
            
            गीत दर्द के  जिसने,  लय में गाना न जाना।
            अंधकार में  जिसने, दीप जलाना न जाना।।
            
            प्राण सेज पर जिसकी, बेसुध पीड़ा न सोती।
            शुष्क अधर पर जिसकी, मुस्काती दुनिया न होती।।
            
            सूने नयनों में  जिसके, आँसू के मोती न सजते।
            प्रचंड आग में  जिसके, सपने कुंदन से न तपते।।
            
            खोने-पाने में जिसको, न मिला वेदना का एहसास।
            फूलों के संग जिसको, काँटा ना आया रास ।।
            
            जीवन - रण में जिसने, कभी ना देखा हो अवसाद।
            मिटने में भी जिसने, नहीं लिया जीने का स्वाद।।
            
            दीपों का बुझना जिसको, हो नहीं पाया स्वीकार।
            उम्मीदों सपनों में  जिसको, न मिला बिखरने का उपहार।।
            
            परे समझ से है उसके, जीवन जीने की परिभाषा।
            श्वेत-श्याम संग स्याह भाव पट, जीवंत होने की अभिलाषा।।
            
4-
            जश्न
            जश्न मनाता दिल जख्मों का, साथ यही दौलत रहती है।
            अश्क नदी के क्या देखोगे, जो अपनी रौ में बहती है।।
            
            हाथ मिलाया दिल से अपने, सहलाया टूटे जो सपने।
            कौन इसे पथ दिखलायेगा, छोड़ दिया संग जो हमने?
            
            जीत-हार से दूर ले आये, चेतन-अवचेतन के साये।
            विष का तर्पण हर पल चलता, क्या सोचें क्या खोये-पाये?
            
            आँसू साथ लिए चलता है, बस अपनी रौ में ढलता है।
            मोती मिलते माथ लगाता, मन न अश्क में अब पलता है।।
            
5-
             "सहारा"
            
            
            सोचा जिसका मिला साथ न, खोया फूल सुहाना तो क्या?
            रोया पथ में फूट - फूटकर, बोया पुष्प खिले शर तो क्या?
            
            जब-तब इत-उत रहे झेलता, हार ह्रदय जाता है तो क्या?
            आस छाँव की मिले धूप ही, धूप जलाती है पग तो क्या?
            
            छल के छालों से छलनी दिल, ठगा गया है पथ में तो क्या?
            उम्मीद ढली नाउम्मीदी में, उपहार मिला है विष का तो क्या?
            
            अग्नि परीक्षा लेती आँधी, पाँव उखड़ते जाते तो क्या?
            भवसागर में ज्वाला उफनी,दम घुटता सा पाते तो क्या?
            
            कितने स्वप्न अधूरे रहते, पूर्ण नहीं हो पाते तो क्या?
            मृगतृष्णा सा दिखे रेत में, असल नहीं जल होते तो क्या?
            
            राह नहीं दिखलाता कोई, निपट अकेले ही हैं तो क्या?
            छोड़ गए सब संगी - साथी, जूझ रहे कानन में तो क्या?
            
            छोड़ नहीं देते क्यों आखिर, शै जो नहीं तुम्हारी खातिर।
            तोड़ नहीं देते क्यों आखिर, बंधन टीसे जो बन शातिर।
            
            क्यों उलझा सा साज नयन का, रंग उड़ा सा लगता मन का।
            सूख गया मुख लगे गगन का, उजड़ गया ज्यौं पुष्प चमन का।
            
            काटे गले लगाकर गर को, समझो मांझे की फितरत को।
            निर्ममता से कुछ ठोकर को, दे क़दमों में झुकते सर को।
            
            तुमको तो बस इतना करना,संग समय के चलते रहना।
            पथ में तम शर करते धरना,  पार निकलना पर मत डरना।
            
            निज अंतस से बड़ा सहारा, कोई न जग में रहता है।
            देख सके यह नजर जहाँ तक, कुहरे में भी पग बढ़ता है।
            
            अंधेरा जब घिरता पाओ, देव नजर से खुद को देखो।
            हो देव - सुत न उदास होना, निज भीतर जाकर तो देखो।
            
            उल्लास भरी राहें प्रकृति की, हर कण में सुंदरता होती।
            नन्हीं बेलों में थिरकन सी, जीवन में जीवन बो देती।
            
            मानवता से प्रेम तो करो, दर्द पराए भी अपना लो।
            निज का दर्द पराया होगा, ऊँचा कोई बुन सपना लो।
            
            जीना उसको आ जाए जो, अंतस का गुण मूल उभारे।
            आत्म - तत्व कब गलत हुआ है, सारे दर्द से यही उबारे।
            
6-
             "बढ़े चलें"
            
            
            श्रृंग तक हिमाद्रि के, पग निडर बढ़े चलें।
            अगम्य तप्त पथ सही, पर न ये कदम रुकें।
            
            शौर्य की मशाल से, तेज भाल हो सदा।
            कदम कदम बढ़े चलें, साथ लिए हौसला।
            
            पर्ण शाख से गिरे, सीधे धूल में मिले।
            रहे किंतु वृक्ष टिका,शाख वही फिर खिले।
            
            आँधियां डरा रहीं, शेर की दहाड़ बन।
            हौसला मिटा रहे, धूल भी पहाड़ बन।
            
            बादलों के रोर से, दामिनी कड़क उठे।
            मूंद चक्षु मंद-मंद, मन मलय तड़क उठे।
            
            चाल गति मंद रहे,थक गए कदम कहीं।
            यति रहे विराम तक,पग मगर रुके नहीं।
            
            टूट रही श्वास हो,अकड़ रही धमनियाँ।
            किंतु साथ आस तो,मार्ग दें बिजलियाँ।
            
            चल बनो मिसाल से, न रहो बेहाल से।
            संभल शत्रु जाल से,धन तमस गराल से।
            
            तुंग हौसला रहे, आस्था भी संग हो।
            श्रृंग पर उमंग हो, रंग में तरंग हो।
            
            दृश्य तो अदृश्य भी, मुश्किलें पहाड़ सी।
            मन - चमन में गूँजती, सिंह के चिंघाड़ सी।
            
            पग मग में गर्द से, नित नवीन हो चले।
            जूझ - बूझ - सूझ से, आपदा सभी टले।
            

English Ghazal- Pain of love

My love! do not cause pain me,
With grief, please do not drain me.

If you have to go, then go,
Do not teach to maintain me.

Sun is burning overhead,
Shower love to contain me.

Nectar sweet I drank of love,
Now please do not poison me.

If you forget love of mine,
Never you will regain me,

Love is pure, divine and deep,
But acute pain would stain me.

When in Love, you gifted world,
Now please do not disdain me.

Once I moved, will not come back,
Effort now to sustain me.

Just small effort is needed,
Not so tough to retain me.

If you can’t change attitude,
Please don’t try to pertain me.

My words try not to hurt you,
And your harshness broken me.

I will come up as phoenix,
Storms implant, pains ingrain me.
        

Some Quatrains

What if no sign of the depressed shown?
It does never mean the absence of tears.
Survivors are always made of tough bones,
Their fight back attitude makes it clear.

No Sonar machine ever, can measure heart's depth.
No Altimeter ever, can give grief's height chart.
When I find my mind noisy, with crowd as traffic jam.
Then I clear mental Ram, to calm noisy thought.

When love shows apathy, cruel and the darker side.
Then comes as the saviour, poetry saves from suicide.
Pain, grief and sufferings are fertilizers in garden of life.
Heart is an apt gardener, that in plants transform strife.

Brightest picture behind curtain, might have painful gloomy tone.
Have surpassed storm and washed, stain of grief and moan.
Broken heart of once flow later, in fool's frenzied flavour’s flight.
 Welcomes all bright colours, not living only in black and white.

With attractive decorum, love comes as a poison sweet.
In guise of soothing cool, it burns with intense heat.
Thank you love for what you did! broken me to be strong.
Gifted cyclones and melancholy, that forced me to sing my song.

Now Tulip, Orchid, Lily, Rose and Daffodils, 
Capture my heart and that with sweet fragrance fills.
Snowy hills’ breeze heals in waves of trills and dills,
Chills mood and bring in life sweet thrills and quills.